Title : !! Aap Ki Khatir !!

आवाज बेअसर है ‎फिर भी गाता हूं,

अल्फाज भटकते हैं ‎फिर भी कहे जाता हूं ।

 

लाखों गम हैं लगे  हुए साथ मेरे ,

‎फिर भी जाने क्यूं मुस्कुराए जाता हूं।

 

रास्ते बडे मु‎श्किल हैं अपनी मं‎‎जिल के,

फिर भी बस चलता ही जाता हूं।

 

मेरे कदमों में अभी जोर बाकी है,

इसी‎लिए रूक नहीं पाता हूं।

 

रब ने दी है ये तौफीक मुझे इसी‎‎लिए,

बस उसी से सब कहे जाता हूं।

 

वो ‎जिनकी आस है लगी हुई मुझसे उनकी खा‎तिर,

हर जुल्म को हर पल सहे जाता हूं।


एक ‎दिन का ख्वाब है मेरी ‎निगाहों में,

उसे पाने को ही ये सब ‎किये जाता हूं,

 

"इमरान" को उम्मीद है उस सुबह के आने की,

इसी आस में हर रात को रोशन ‎किए जाता हूं।

Author : Mohammad Imran
Date : March 28, 2012 15:10:58
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