Submitted By : M. IRFAN

जिसकी तुझे तलाश वो मंजिल नहीं हूँ मैं
बेशक तेरे सफ़ीने का साहिल नहीं हूँ मैं.
तू लाख बेखबर हो जो मुझसे तो क्या हुआ,
इक लम्हा तेरी याद से गाफ़िल नहीं हूँ मैं.
फिर आअज हो गई है स्दाज़ा बेक़सूर को 
कहता हे रह गया के वो क़ातिल नहीं हूँ मैं.
सबसे ना दिल के ज़ख्म छुपा लूं तो क्या करूं,
एलाने- रंजे इश्क़ का कायल नहीं हूँ मैं.
ज़ालिम सनझ सका ने मेरी खामोशी का राज़,
साबिर हूँ अहले-ज़र्फ़ हूँ बुजदिल नहीं हूँ मैं.
मैं खुश हूँ के मेरी ज़ीस्त का हासिल है सिर्फ तू,
तू खुश के तेरी ज़ीस्त का हासिल नहीं हूँ मैं.
मेरी दुआ मैं क्यूं नहीं माबूद अब असर,
क्या आज तेरे रहम के क़ाबिल नहीं हूँ मैं.
तन्कीदे-एहले-इल्म पे आँसू बहाऊँ मैं,
इर्फ़ान अब ऐसा भी जाहिल नहीं हूँ मैं  !


Email ID : irfan.tspl@live.in
Date : May 24, 2012 12:19:25

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Comments for current Article
Name : Md Imran
Comment : Nice one...
Comment Posted on : May 25, 2012 16:39:58

Name : Md Imran
Comment : nice....
Comment Posted on : May 25, 2012 16:49:10

Name : Md Imran
Comment : nice...
Comment Posted on : May 25, 2012 16:54:11

Name : Md Imran
Comment : Masha Allah....
Comment Posted on : May 25, 2012 16:57:40