Submitted By : Mohammad Imran

कितनी अजीब है ज़िन्दगी की खुशबु, महक चमन की भी कम लगती है |
एक आरजू जागती है, एक तमन्ना सोती है, फिर भी हर पल जीने की ख्वाहिश होती है |
उनकी याद आ रही है अब भी इसी तरह, जैसे फूलों से गुलशन के महक आती है |



Date : April 23, 2012 9:33:03

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