आवाज बेअसर है फिर भी गाता हूं,
अल्फाज भटकते हैं फिर भी कहे जाता हूं ।
लाखों गम हैं लगे हुए साथ मेरे ,
फिर भी जाने क्यूं मुस्कुराए जाता हूं।
रास्ते बडे मुश्किल हैं अपनी मंजिल के,
फिर भी बस चलता ही जाता हूं।
मेरे कदमों में अभी जोर बाकी है,
इसीलिए रूक नहीं पाता हूं।
रब ने दी है ये तौफीक मुझे इसीलिए,
बस उसी से सब कहे जाता हूं।
वो जिनकी आस है लगी हुई मुझसे उनकी खातिर,
हर जुल्म को हर पल सहे जाता हूं।
एक दिन का ख्वाब है मेरी निगाहों में,
उसे पाने को ही ये सब किये जाता हूं,
"इमरान"
को
उम्मीद है उस सुबह के आने की,
इसी आस में हर रात को रोशन किए जाता हूं।