वो शामिले हाल
मुझे बनाते
है, दिल
की बदहाली
का
कुसूर मेरा कहां
मैं तो
मारा हूं
किसी की
खुशहाली का।
वो खुश हैं
बिछड़ के
मुझसे ये
भी खुशी
है मुझे,
मेरा क्या है
हूं मैं
तो आदी
हो गया
हूं तन्हाई
का।
मुझे तो सब्र
है , अपनी
सच्ची मोहब्बत
का दोस्तों,
क्यूं नाम दू
प्यार को
उसके बेवफाई
का।
रहें हम साथ
या जुदा,
याद तो
हमेशा है
क़ायम दिल
में
ताजा हमेशा रहता
है आंखों
में नक्शा
मेरे हमदम
का।
तुम न उसे
ज़ालिम कहो
मेरे रूबरू,
वो तो जि़दा साथी है, मेरी तन्हाई का।