ये तो दस्तूर है निभाया है उसने भी, बदल के हमें वो ख़ुद बदल गए |
हमने ख़ुद को बदल दिया उनकी ख़ातिर,
फ़िर देखा के उन्ही के
रास्ते बदल गए |
शायद यही है दस्तूर -ए - ज़िन्दगी दोस्तों ,
दिन निकला और ख्वाब बदल गए |
बस भर गया दिल अब उन्हें याद करके ,
देखने के अपने भी अब अंदाज़ बदल गए |
अचानक हक़ निकल आया चमन पे सबका,
ग़ुल तो ग़ुल, काटों के भी हकदार बदल गए |
अब मत तरसना फ़िर कभी किसी की ख़ातिर,
"इमरान" थे तुम, अब तुम्हारे
हाल बदल गए |