Title : Waham.........!

कुछ ज़्यादा लगा बैठे, उम्मीदें जहाँ से हम,
कर बैठे शायद, बेवफाई खुद ही से हम |

फ़ेर के पानी मेरी उम्मीदों पे, उन्हें भी मेरा इंतज़ार है,
और बनाये बैठे हैं, महल ख्वाबों का हम |

जाने दुनिया में क्यूँ, इतनी कमी है प्यार की,
फिर भी ज़हन में है, उनके प्यार का वहम |

आज था इंतज़ार दिल को, शायद वो याद करें,
उजड़ गया मगर , उम्मीद का हर चमन |

याद आया फिर हमें, ये तो दौर-ए-मतलब परस्त है,
कैसे नींद आ गयी, क्यूँ न जागे सुहाने ख्वाब से हम |

कर रहे अब सफ़र इमरान , फिर नया शुरू हम,
ढूंढ ही लेंगे एक न एक दिन, चले थे जिसकी तलाश में हम |

Author : Md Imran
Date : October 16, 2012 12:17:44
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Comments for current Article
Name : Karik
Comment : Thnkiing like that is really impressive
Comment Posted on : November 26, 2012 15:13:39