Submitted By : M. IRFAN
मुझे जो कुछ भी कहना था अभी मैं कह नहीं पाया मेरी तहरीर की ज़द में अभी तो कुछ नहीं आया
अभी वो क़ुर्ब लिखना है जिसे महसूस करता हूँ अभी वो ख्वाब लिखने हैं जो इन आँखों ने पाले हैं
मुझे उनको भी लिखना है जिन्हें में ढूंढ न पाया अभी वो लोग लिखने हैं जो खोकर हाथ मलते हैं अभी वो अश्क लिखने हैं कभी जो बह नहीं पाया मेरी तहरीर की ज़द में अभी तो कुछ नहीं आया
अभी तो मौसमों की शोखियाँ तहरीर करनी है उठाने है अभी दरिया से मुझको प्यास के पहरे अभी तो खुश पहाड़ो पर मुझे रिमझिम भी लिखनी है कहीं पे धूप लिखनी है कहीं पर तीरगी छाया मेरी तहरीर की ज़द में अभी तो कुछ नहीं आया
अभी तो मुझको लिखनी है किसी की रेशमी जुल्फें किसी की सुर्मगी पलकें किसी की आँखों का काजल किसी की अनकही बातें मचा दें दिल में जो हलचल अभी वो सब भी लिखना है जो मेरा इश्क कहलाया मेरी तहरीर की ज़द में अभी तो कुछ नहीं आया
अभी तो वो सफ़र लिखना है जो दरपेश है मुझको अभी तो तुमको अपनी प्यास के सहरा दिखाना है अभी तो हिज्र की लिखनी है सारी मातमी रातें अभी तो ऐसे लम्हे भी तुम्हे आकर सुनाने हैं के जिनसे अश्क आँखों में मगर इस दिल को बहलाया मेरी तहरीर की ज़द में अभी तो कुछ नहीं आया
Email ID :
irfan.tspl@live.in
Date :
May 24, 2012 12:20:17
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