Submitted By : Md Imran

बांधे से जो न बंधे, रोके से जो न रुके,
वो आज़ाद है दिल, माना फ़कीर है। 

जो रोके वो बह जाए, जो बांधे वो ढह जाए,
ऐसी रवानी है, ज़िन्दगी मेरी, पानी की लक़ीर है। 


Email ID : imran@saharsoft.in
Date : April 15, 2013 16:02:54

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Comments for current Article
Name : Md Imran
Comment : Go on...with myself....
Comment Posted on : May 13, 2013 14:32:36