Submitted By : Md.Imran

रूठ के उससे जाने कितना उलझ गया हूँ मैं, किसी जाल में जैसे फंस गया हूँ मैं ,
ए खुदा समझ दे उनको और रज़ा मुझे, अपनी ही लगाई आग में जैसे झुलस गया हूँ मैं |


Email ID : imran@saharsoft.in
Date : June 08, 2012 17:51:05

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