चलो शायरी को वक़्त के अंदाज़ मैं देखें,वक़्त जो जाकर कभी वापस नहीं आता,
चुनिन्दा शेर हैं मेरे जो कहते है ये मुझसे,
फलसफा ख्याल का कभी वापस नहीं आता,
किसी की शोख नज़रों का वो मंज़र जो देखा,
पलट कर तीर निगाहों का खाली नहीं जाता,
मुझे गर प्यार करते हो तो मेरी वफ़ा समझो,
वफादारी है ऐसी शह जो कोई निभा नहीं पाता,
मुक़द्दर आजमाने की जो ख्वाहिश है तो आ जाओ,
महफिले वक़्त का मारा कभी वापस नहीं जाता,
चलेंगी सर्द हवाएं तो मौसम खुश्क होगा ही,
कभी भी सर्द सांसों मैं वो मेरे घर नहीं आता,
दोस्त हो तो दोस्ती का मख्फूम भी समझो,
दोस्त कोई इरफ़ान क़त्ल करके नहीं जाता!
मो. इरफ़ान